साधारण दीखबाळो, असाधारण मिनख


-भंवरसिंह सामौर, चूरू

राजस्थान विश्वविद्यालय रै हिन्दी विभाग सूं पढ़ाई पूरी कर राजस्थान सरकार रै कॉलेज शिक्षा विभाग मांय म्हारो चयन हुयो। उण बखत भावजोग सूं कॉलेज शिक्षा रै निदेशक पद माथै श्रद्धेय आर.एस. कपूर हा, बै महाराजा कॉलेज मांय म्हारा इतिहास गुरु हा। राजस्थान लोक सेवा आयोग सूं म्हारो नांव आयो तो म्हनैं बुलायो अर बूझयो कै कठै लागणो चावै है। लोहिया कॉलेज-चूरू, बांगड़ कॉलेज-डीडवाना अर दूगड़ कॉलेज-सरदारशहर मांय जिगां खाली है। म्हैं कैयो गांव सूं तो नैड़ो डीडवाणो है। और`स आप जाणों। जणां बां कैयो, डीडवाणो दूसरै जिलै मांय है अर सरदारशहर काणीयै पड़ै। चूरू अळगो जरूर है पण जिलै रो मुख्यालय हुवण सूं थारै गांव बोबासर रै विकास मांय भोत काम आसी। इण भांत बां म्हनैं लोहिया कॉलेज, चूरू मांय लगा दियो।
चूरू मांय डॉ. श्रुतिधर गुप्त, प्राचार्य रै रूप मांय आया। बै भोत उत्साही हा अर नुंवै लोगां नै आगै लेय कॉलेज रै विकास री योजनावां बणायी। इण पेटै अधिस्नातक (एम.ए., एम.एससी. एम. कॉम) कक्षावां री सरूवात तो खास मानो हो ही साथै ही हिन्दी मांय ऑनर्स री कक्षावां ई बां सरू करवायी। ऑनर्स मांय राजस्थानी रो एक प्रश्न-पत्र बां रखवायो अर बो पढ़ावण वास्तै म्हारै सूं पक्कायत करली कै थानै पढ़ाणो पड़ैलो दूसरै आदमी री व्यवस्था कोनी हो सकैली। इण रै साथै बां एक काम और करयो कै लोहिया कॉलेज री सालीणा पत्रिका 'आलोक` मांय राजस्थानी रो न्यारो अनुभाग सरू करवायो। जको आज दिन लग चालू है। ऑनर्स रै पढ़ेसरयां मांय पैलो बैच डॉ. महेशचंद्र शर्मा (पूर्व राज्यसभा सदस्य अर पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा) अर ओमप्रकाश शर्मा (पूर्व न्यायाधीश) इत्याद 10 पढ़ेसरयां रो हो।
ऑनर्स रै आगलै बैच मांय दुर्गादत्‍त माळी प्रवेश लियो। ऑनर्स मांय ऊंचै नंबरां सूं प्रवेश मिलतो। दुर्गादत्‍त नै संगळिया पढ़ेसरी दुर्गेश नांव सूं बतळाता अर बोही उण रो नांव थरपीजग्यो। दुर्गेश आखी ऊमर इणी नांव सूं ओळखीजतो। उणरै साथै दो नांव और हा, बालमुकन्द ओझा अर गिरधारीलाल यादव। ओझो तो राजस्थान विधानसभा मांय नकली तमंचो चलाय`र चेतावनी दीन्ही कै आज तो नकली है पण तड़कै असली चालैलो। ओझो अबार राजस्थान सरकार रै जनसंपर्क विभाग मांय अधिकारी है अर गिरधारीलाल यादव, उपनिदेशक, माध्यमिक शिक्षा मांय सरकारी नौकरी करै। अै तीनू ई पढ़ेसरी कॉलेज मांय चर्चित हा। आंनै अै जुझारू संस्कार दिया माधव शर्मा पत्रकार, जिका सोशलिस्ट पार्टी सूं जुड़ेड़ा हा। म्हैं मजाक मांय बांनै सोटलठ पार्टी वाळा कैय`र बतळांतो।
दुर्गेश मूलरूप सूं साहित्य सूं जुड़ाव वाळो मिनख हो। पढ़तां थकां ई अै लक्षण उण मांय प्रगट हुग्या। उणनै 'आलोक` पत्रिका रै राजस्थानी अनुभाग रो छात्र-संपादक ई बणायो अर उण चोखो काम करयो। उणरी पैली रचना 'म्हैं पापी हूं` नांव री कहाणी 'आलोक` मांय ही छपी। फेरूस उणरी रचनावां हिन्दी अर राजस्थानी मांय उण जमानै री पत्रिकावां मांय छपी। फेरूं नारायणसिंह राजावत 'दिलचस्प` उणनै साथै लेय 'युवा रचनाकार समुदाय` बणाय कैयी आयोजन करया अर वांरी चर्चा आखै साहित्य जगत मांय हुयी। पैलो आयोजन आर.एन. अरविंद (तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी, चूरू) री प्रेरणा सूं सुराणा स्मृति भवन, चूरू मांय राजस्थान रै युवा रचनाकारां रो हुयो। इण सूं एक नुंवै साहित्यकारां री टीम बणी। इणरै पछै दुर्गेश रो संपर्क वेदव्यास, कमलेश्वर अर भीष्म साहनी सूं हुयो अर अै देश रा नामी साहित्यकार चूरू मांय आय आं जोध-जुवानां रो होसलो बधायो।
इंयां चालतां-चालतां आ` जोड़ी चूरू मांय राजस्थानी समारोह रो आयोजन करयो, जिण मांय उण जमानै रा उच्च शिक्षा मंत्री बी.डी. कल्ला अर वेद व्यास तो पधारया ही उण रै साथै दिल्ली री 'वर्ल्ड फैमिली` नांव री संस्था रा देश-विदेश रा अनेक संस्कृति कर्मी, जामिया-मिलिया, दिल्ली रै विष्णुजी रै नेतृत्व मांय दिलचस्प रै प्रयास सूं पधारया। उण मोकै राजस्थान रै लोक संगीत रा नामी-गिरामी लंगा-मांगणियार लोक गायक आया तो गोगाजी री गाथा गावणियां डैरूं रा लोक गायक भी हा। उण मौकै एक स्मारिका भी छपी।
इण भांत पुराणां साथी छूटता गया अर नुंवां जुड़ता गया। नुंवा साथ्यां मांय गुरुदास भारती, कमल शर्मा, हनुमान आदित्य अर दुलाराम सहारण इत्याद जुड़या अर कारवों चालतो रैयो। रचनात्मक काम चालता रैया। दुर्गेश नै राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर सूं 'काळो पाणी` रचना माथै पुरस्कार ई मिल्यो। प्रगतिशील लेखक संघ सूं ई आखी ऊमर जुड़यो रैयो। आगै री योजनावां रा कैयी काम उण ओढ़ राख्या हा पण एक दिन दुलाराम सहारण रो फोन आयो, दुर्गेश कोनी रैयो। सुण`र विस्वास कोनी हुयो पण कांई हुवै? मरणो तो कोयी रै बस री बात कोनी हुवै। मरणो तो पड़सी मुदै, जलम्या जका जरूर। बिलख`र रैयग्या।
दुर्गेश री स्मृति मांय हुयी शोक सभा मांय उण रै जलम दिन 25 मार्च माथै कार्यक्रम री बात आयी। दुलाराम सहारण भाली सम्हाई। उणरा जोड़ीदार बण्या डॉ. रामकुमार घोटड़ अर आसीरवाद हो बैजनाथजी पंवार रो। सुधी लोगां री भावना रै मुजब ओ आयोजन आच्‍छो हुयो।
कुड़तै, पजामैं वाळो एक पतळो`क साधारण दीखबाळो मिनख साहित्य जगत मांय असाधारण काम कर आपरी छाप छोडग्यो।

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