काव्याभिव्यक्ति



- आशीष गौत्‍तम आशु, चूरू

थम गई लेखनी, शब्द हो गए मौन।
मझधार में छोड़कर,
आप क्यों हो गए अंतर्ध्यान।।

क्यों हो गए अंतर्ध्यान,
याद आपकी बहुत आती है।
सूरत मस्तिष्क में घूमती है,
आंख बार-बार सजल हो जाती है।।

कहे 'आशु` आपके जाने से,
साहित्य में विरानी-सी छाई है।
जीवनभर भूल पाएंगे आपको,
छवि दिल में आपकी इस कदर समाई है।।

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